ग़ज़ल(चलो हम करें फिर मुहब्ब्त की बातें)
नफ़ासत ,नज़ाकत,इबादत की बातें।
चलो फिर करें हम मुहब्बत की बातें।
हुआ आज मौसम बहुत ही सुहाना
चलो हम करें कुछ शरारत की बातें
किया आपने जब नज़र से इशारा
धड़क कर के दिल ने की चाहत की बातें
लगी आज दुनियाँ तो हमको सुहानी
चलो भूल जाएँ अदाबत की बातें
गुलाबी गुलाबी से गालों पे अक्सर।
हवाओं ने की हैं क़यामत की बातें।
वही सुर उसी राग की “रागिनी” हूँ।
बसी जिसकी धुन में रवायत की बातें।।
डॉ. रागिनी शर्मा,इंदौर