गहरी चाहत
ख्वाब हो या हकीकत हो हर जगह आपका चेहरा नजर आता है।
शब कब सहर बन जाती है पता ही नहीं चल पाता है।
तन्हाइयों में आपकी याद में मन गीत गुनगुनाता है।
आपको पाने की हसरतों में दिल दीवाना बन जाता है।
जिस लम्हा आप का दीदार होता है वह समा रंगीन बन जाता है।
जब आप अपनी जुल्फों को खोल देती हो तो घटा छा जाती है।
जब आप अपनी नजरों को झुकाती हो तो सांझ भी ढल जाती है।
बेपनाह इश्क है कि जिंदगी को आपके बग़ैर सोच भी नहीं पाते हैं।
“”समीर””