ग़ज़ल (गहराइयाँ ग़ज़ल में…..)
ग़ज़ल
सच्ची मुहब्बतों की अमराइयाँ ग़ज़ल में।
अन्दाज़ से हैं बाहर गहराइयाँ ग़ज़ल में।।
मिलने पे कह न पाए उनसे जो बात दिल की,
तन्हाई में वो कह दी अच्छाइयाँ ग़ज़ल में।।
होती जो ख़्वाब सी ही ग़र ये हसीन दुनियाँ
आतीं नज़र तो अक्सर परछाइयाँ ग़ज़ल में।
जब ‘रागिनी’ ने कह दी हर बात अपने दिल की,
अब प्यार की बजेंगी शहनाइयाँ ग़ज़ल में।
स्वरचित _©
डॉक्टर रागिनी शर्मा ,इंदौर
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