गहना : मुक्तक
गहना
// दिनेश एल० “जैहिंद”
एक गहना आपका एक गहना शर्मो लाज का ।।
एक गहना दिव्य द्रव्य का एक सज्जो साज का ।।
लग गई जो दाग तन पर गए मान ओ सम्मान,,
सारी सुंदरता और सिंगार नहीं किसी काज का ।।
पर्दा भी एक गहना है कर लो इस पर भी विचार ।।
पर्दे में भी रख पर्दा करे तब संपूर्ण जगत् व्यवहार ।।
सारे गहनों संग पर्दे को भी मिले उचित सम्मान,,
गुलशन-सा तब महक उठेगा नर-नारी – घर-बार ।।
गहना में है गुथा गहन विचार ऋषियों का ।।
गहना में गड़ा गहरा आचार मनीषियों का ।।
गहना है कवच स्वाभिमान और चरित्रों का,,
गहना है गजब गरिमा हर नर-नारियों का ।।
गहनों से ना कभी मुँह फेरना ।।
बचाकर रखना अपना गहना ।।
गहना है “जैहिंद” तन का गहना,,
गहनों का रिश्ता तन से बहना ।।।
=== मौलिक ====
दिनेश एल० “जैहिंद”
07. 07. 2017