गवाही
गवाही
शंबुक रीषि की
कटी गर्दन
एकलव्य का
कटा अंगूठा
टूटे व जीर्ण-शीर्ण
बौद्ध स्तूप
खंडित बुद्ध की प्रतिमाएं
धवस्त तक्षशिला व नालंदा
तहस-नहस
बौद्ध साहित्य
धूमिल बौद्ध इतिहास
दे रहा है गवाही
कितना असहिष्णु
कितना भयावह
था अतीत
-विनोद सिल्ला©