गवर्नर ❤️
“गवर्नर कौन है ,क्यो है ,कैसे है ? शायद इसका जवाब मैं न दे सकूंगा । ” लेकिन वह मेरी कल्पना का एक रूप था, जो विगत वर्षों में मेरे पास होते हुए भी नही है ।
खैर एक शब्द में कहे तो – “दर्द ए जुदाई मेरे दिल बीच भर दिया ” वह गवर्नर है । कभी यह सपनो में आती हैं तो कभी दिमाग के उन उत्तेजित नशों के दीवारों में जहां केवल प्रेम का उद्दीपन होता है । आखिर ‘ शायद यह प्रेम ही था ‘ जो कम समय मे और लम्बा टिकने वाला कह सकते हैं । पर यह शायद ही एक तरफा हो , ऐसा भी हो सकता है कि प्रेम की परकाष्ठा ऐसी हो कि एक पक्ष प्रेम के लिए मरा जा रहा हो, दूसरा अपने भावनाओ को दबा रहा हो कि नही यह प्रेम नही हो सकता । खैर जो भी गवर्नर कौन था , कैसी थी, शायद ही मैं बता सकूंगा ।।
गवर्नर शब्द मेरे दिल से निकला हुआ एक शब्द था , जो उस वक्त किसी ‘ राजकुमारी ‘ में जो भी लक्षण होते है वह उसके लिए प्यार से उपयोग की गई अंतरात्मा से अभिव्यक्त हुआ था । वैसे भी सुंदर तो सारी स्त्रियां है उनमें भी कुछ अच्छे गुण होते है तो कुछ बुरे ।
वास्तव में गवर्नर एक अच्छी लड़की थी , औरो की भांति उसमें भी नखरे, गुस्से, चंचलता और सजने सवरने के अपनापन था, पर उसमें एक कमी थी कि वह भावनाओ की दुनिया से घिरी हुई ऐसी नायिका थी,जिसे सही-गलत और अच्छे-बुरे उलझन हमेशा लगी रहती थी वह सोने को त्याग कर मिट्टी के पीछे आतुर रहती थी , उसके निर्णय उसे ही कुछ समय तक उलझा कर रखते थे जिसे वह डिप्रेशन और एनिजिटि के रूप में गिरफ्त थी, जबकि उसका दिल बच्चो के माफिक सच्चा और हँसमुख था ।
लेकिन फिर भी गवर्नर कौन थी ,कैसी थी क्यो थी मैं नही बता सकूंगा ।
“उसके तीखी तीखी नजरो ने मुझ पर जादू कर दिया ”
वह उस शाम की बात थी जब मैं अपने किलकारियां के मौज में इतना डूबा था कि इन्हें देखने के पश्चात मैं रुक ना पाया, ‘चल पड़ा वीर सीना ताने ‘ । नियति ने भी साथ दिया ,दोस्ती हुई फिर मुझे कब प्यार हुआ, मुझे मालूम न हुआ,पर भावनाओ की दुनिया मे कदम रखने से पहले खुद को इतना दबाया गया कि अगर कर लिया ‘ मोहब्बत’ तो रुक ना पायेगें । फिर चंचलता,अपनापन, दोस्ताना, और वीर चल पड़ा सीना तान, नियति भी इस वीर का साथ देने लगी, उसी के प्यार और दोस्ती के बीच के उलझन से गवर्नर शब्द का उद्भव हुआ —
” मेरी राजकुमारी ( queen) ” ।
अक्सर 16 वर्ष के प्रेमी के भांति ही यह भी प्रेमी ने सपनो का ऐसा जाल बुना की उसके गहराइयों में यह जा फसा ।
” उसकी आदाओं ने दीवाना मुझे कर दिया ” :
ऐसा जाल बुना की वीर सिर्फ एक तरफा प्रेम की बहाव में बहता चला गया, और गवर्नर के नाम से खिन्न जन्म लेने लगा , फिर भी गवर्नर कौन थी ,कैसी थी मैं नही बता सकूंगा ।
लेकिन ‘ गवर्नर एक राजकुमारी थी ‘ एक ऐसे बादशाह की जो दिल,वचन,और कर्म से अपने बातों का पक्का था , पर ‘ न रही गवर्नर , न रहा बादशाह’ फिर भी गवर्नर कौन थी ,कैसी थी क्यो थी मैं नही बता सकूंगा ।।
” उसकी अदाओं ने दीवाना मुझे कर दिया, दिल गया , मेरा सब कुछ गया ”
पर , रह गया तो केवल गवर्नर के उद्दीपन का वह पल जो मेरे मन में कांटो की तरह चुभता ही रहता ।।
आखिर ‘ गवर्नर एक राजकुमारी थी ,किसी बादशाह के सपनो की ” ।।।