गले से लगा के वो फिर मुस्कराये
“ गले से लगा के वो फिर मुस्कराये “
गले से लगा के वो फिर मुस्कराये ,
दिलों को मिला के सभी को मनाये ।
रुबाई रचाते मियां मित्र मिट्ठू ,
सुनी जो रुबाई सभी खिलखिलाए।
“डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव” ,
सीतापुर ।
“ गले से लगा के वो फिर मुस्कराये “
गले से लगा के वो फिर मुस्कराये ,
दिलों को मिला के सभी को मनाये ।
रुबाई रचाते मियां मित्र मिट्ठू ,
सुनी जो रुबाई सभी खिलखिलाए।
“डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव” ,
सीतापुर ।