गले का हार होना चाहता हूँ
गले का हार होना चाहता हूँ
मैं उसका प्यार होना चाहता हूँ
सुना है सोच में तब्दीलियाँ हैं
मिज़ाजे-यार होना चाहता हूँ
उसे दुन्यावी चीज़ों से बचाकर
मैं ख़ुदमुख्तार होना चाहता हूँ
बहुत मैं थक गया इज़हार करके
मैं अब इन्कार होना चाहता हूँ
सनीचर पीर सा मसरूफ़ है तू
तिरा इतवार होना चाहता हूँ
उठा था मैं इसी मिट्टी से यारों
यहीं मिस्मार होना चाहता हूँ
नज़ीर नज़र