गली गली में चोर है
गली गली में चोर है
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गली – गली में चोर है,
सुना जहां में शोर है।
कहीं नहीं नजरें मिली,
नज़र हुई कमज़ोर है।
डगर बहुत ही दूर है,
घटा घनी घनघोर हैं।
अगल बगल में लापता,
समीप खाली ठोर है।
करीब मनसीरत खड़ा,
मगर अनोखी तौर है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)