गलती
********”गलती”***********
“मैंने कितना सोचा,
इस बारे में,
ये सवाल है,
जवाब तो
तलाशना ही होगा,
फिर एक सांचे में
ढाल के सोचा,
अंदर -बाहर हुआ,
कई बार मै,
सवाल की तरह,
कोई वजह मिल
जाये,जो पुख्ता
कर दे, मेरी सोच
को ,फैसला कर दे,
मेरे सही होने का,
यहाँ -वहाँ,इधर-उधर,
मै महसूस करता
रहा ,हर शोर,
हर ख़ामोशी को,
फिर दांतों तले,
अपनी उंगली,दबा के ,
याद किया ,अपनों से
लेकर ,गैरों की हर सीख
को,मानो एक नक्शा,
खीचं लिया मन में,
आखिर तय कर
लिया,वही जो, निचोड़
था,सब गुथियों का
कर डाला एक पल ,
में सब नियत,
कुछ समय बाद,
दांतों तले दबी उंगली,
जोर से कट गयी
अरे ये क्या?ये तो
#गलती* हो गयी,
“वो भी इतना
सोच समझकर”
#रजनी