गलतियाँ
****** गलतियाँ *****
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डूब जाती है किश्तियाँ,
होती हैं जब भी गलतियाँ।
मात्र छोटी सी चिंगारी से,
जल जाती सारी बस्तियाँ।
सुनसान है आज मन्दिर,
फिर भी बजती घण्टियाँ।
हो जाएं प्राण पखेरू तो,
गंगा में बहाते है अस्थियाँ।
दो टके की बात पर देखो,
कैसे ये दुनिया लड़तियाँ।
खुद की गलती छिपाकर,
औरों पर कसते फब्तियाँ।
शक्ति संग न हो गर भक्ति,
धरी रह जाती हैं शक्तियॉं।
मनसीरत बताए तरकीब,
काम नही आती युक्तियॉं।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)