नजदीकियों मे दूरियां
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नजदीकियों मे दूरियां
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नजदीकियों मे दूरियां, दूर हो पातीं
न तडपते न बिलखते न तुम जातीं।
प्यार भरपूर था हम मे औ तुम मे भी,
हम समझे काश,तुम भी समझ पातीं।
जहां जिसमे जिये हम प्यारऔमनुहार से,
अबभी वहीं,लौट आओ लिख रहा पाती।
साथ बना सूरज जीवन उजाला होगया,
अंधेरे गैर हाजिर जब चंदा बनी साथी।
बहार आई गुल खिले झुका आसमान,
खुशबू हवा की मदमस्त करती जाती।
न तुम हो बहार न गुल न झुका आसमां,
सूरज डूबा चंदा छिपा न होश है बाकी।
बेचैनी बेखुदी हरदम, बची है कुछ सांसे,
हलकसूखा ओठप्यासे जुबां लडखडाती।
चलेआओ कि हो गयी इंतेहा इंतजार की,
करोगेदेर तो मिलेगा,न कोई निशां बाकी।
स्वरचित मौलिक
अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर
9044134297
प्रतियोगिता प्रतिभागी