“गलतफहमियाँ”
“गलतफहमियाँ”
उजाड़ देती हैं
किसी की जिंदगी
किसी का घर
और किसी के रुपहले ख़्वाब।
गलतफहमियाँ
भर देती हैं दिलों में नफ़रत
मिटा देती हैं शोहरत
बढ़ा देती हैं जिल्लत ।
गलतफहमियाँ
होती हैं बहुत खतरनाक
पल भर में
रिश्तों को कर देती हैं साफ
पैदा कर देती हैं
तक़रार, आपस में रार
कुचल देती हैं
किसी का सच्चा प्यार ।
गलतफहमियाँ
जला देती हैं लाखों घर
अनगिनत नगर, सरहदें
और पवित्र मंदिर ।
गलतफहमियाँ
पैदा होती हैं अहम से
अंदर छिपाए गम से
कभी-कभी शक से
कभी कल्पना से
कभी संभावना से
कभी प्रताड़ना से
इनका उद्गम अथाह है…!
गलतफहमियाँ
कभी मत पालो
नाराज़गी को तुरंत
खत्म कर डालो
‘संवाद का सेतु’ बना लो।
गलतफहमियाँ
मिटाने के लिए
‘वास्तिवकता’ और
मानव के हृदय में
विशुद्ध प्रेम होना जरूरी है।
जगदीश शर्मा सहज