Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jul 2024 · 1 min read

“गलतफहमियाँ”

“गलतफहमियाँ”
उजाड़ देती हैं
किसी की जिंदगी
किसी का घर
और किसी के रुपहले ख़्वाब।

गलतफहमियाँ
भर देती हैं दिलों में नफ़रत
मिटा देती हैं शोहरत
बढ़ा देती हैं जिल्लत ।

गलतफहमियाँ
होती हैं बहुत खतरनाक
पल भर में
रिश्तों को कर देती हैं साफ
पैदा कर देती हैं
तक़रार, आपस में रार
कुचल देती हैं
किसी का सच्चा प्यार ।

गलतफहमियाँ
जला देती हैं लाखों घर
अनगिनत नगर, सरहदें
और पवित्र मंदिर ।

गलतफहमियाँ
पैदा होती हैं अहम से
अंदर छिपाए गम से
कभी-कभी शक से
कभी कल्पना से
कभी संभावना से
कभी प्रताड़ना से
इनका उद्गम अथाह है…!

गलतफहमियाँ
कभी मत पालो
नाराज़गी को तुरंत
खत्म कर डालो
‘संवाद का सेतु’ बना लो।

गलतफहमियाँ
मिटाने के लिए
‘वास्तिवकता’ और
मानव के हृदय में
विशुद्ध प्रेम होना जरूरी है।

जगदीश शर्मा सहज

66 Views

You may also like these posts

मै पा लेता तुझे जो मेरी किस्मत करब ना होती|
मै पा लेता तुझे जो मेरी किस्मत करब ना होती|
Nitesh Chauhan
किताबें
किताबें
Dr. Bharati Varma Bourai
वैज्ञानिक प्रबंधन की कहानी
वैज्ञानिक प्रबंधन की कहानी
विक्रम सिंह
"शक्तिशाली"
Dr. Kishan tandon kranti
पात्रता
पात्रता
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
बैर नहीं प्रेम
बैर नहीं प्रेम
Sarla Mehta
दिल में इश्क भरा है
दिल में इश्क भरा है
Surinder blackpen
अग्निवीर
अग्निवीर
ललकार भारद्वाज
माता रानी दर्श का
माता रानी दर्श का
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
..
..
*प्रणय*
कथनी और करनी
कथनी और करनी
Davina Amar Thakral
प्यार और नौकरी दिनो एक जैसी होती हैं,
प्यार और नौकरी दिनो एक जैसी होती हैं,
Kajal Singh
मेरी माँ कहती हैं..
मेरी माँ कहती हैं..
Swara Kumari arya
जीवन का संगीत
जीवन का संगीत
Sagar Yadav Zakhmi
अनामिका
अनामिका
Rambali Mishra
गुमनाम ज़िन्दगी
गुमनाम ज़िन्दगी
Santosh Shrivastava
बड़ी मां
बड़ी मां
Nitin Kulkarni
4688.*पूर्णिका*
4688.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हम हिन्दू हैं
हम हिन्दू हैं
Pooja Singh
प्रार्थना
प्रार्थना
Dr. Vaishali Verma
यदि हमें शांति के पथ पर चलना है फिर हमें अस्तित्व से जुड़ना
यदि हमें शांति के पथ पर चलना है फिर हमें अस्तित्व से जुड़ना
Ravikesh Jha
जनता का उद्धार
जनता का उद्धार
RAMESH SHARMA
व्यंजन की कविता
व्यंजन की कविता
Mansi Kadam
सवाल खुद में, फिर एक
सवाल खुद में, फिर एक
Dr fauzia Naseem shad
हाँ, यह सपना मैं
हाँ, यह सपना मैं
gurudeenverma198
तुझे याद करूं भी, तो कैसे करूं।
तुझे याद करूं भी, तो कैसे करूं।
Vivek saswat Shukla
समय के आ मुसीबत के...
समय के आ मुसीबत के...
आकाश महेशपुरी
विष को अमृत बनाओगे
विष को अमृत बनाओगे
Sonam Puneet Dubey
सुख की तलाश आंख- मिचौली का खेल है जब तुम उसे खोजते हो ,तो वह
सुख की तलाश आंख- मिचौली का खेल है जब तुम उसे खोजते हो ,तो वह
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
💐प्रेम कौतुक-561💐
💐प्रेम कौतुक-561💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Loading...