गर तू….
ये बड़ेपन का ग़ुरूर भला किस काम का , जब बड़प्पन का काम , तुझे आता नहीं ,
गर तू समंदर भी है तो मैं क्या करूँ, जब तू प्यास तक तो मेरी , बुझा पाता नहीं ।
ये बड़ेपन का ग़ुरूर भला किस काम का , जब बड़प्पन का काम , तुझे आता नहीं ,
गर तू समंदर भी है तो मैं क्या करूँ, जब तू प्यास तक तो मेरी , बुझा पाता नहीं ।