गर्लफ्रैंड भेंट चढ़ी मेरी प्यारी न्यारी मूँछ
बड़े शोक से पाली थी मैंने अपनी मूँछ
गर्लफ्रैंड भेंट चढ़ी मेरी प्यारी न्यारी मूँछ
बाल्यकाल बाद आई थी रंगीन जवानी
भूरी भूरी उभरी थी मेरे होठों ऊपर मूँछ
हाथों से मरोड़ी देता मैं अपनी मूँछों को
आइना ले कर बैठा रहता संवारता मूँछ
पतली सी धार दार बनाई थी मैंने मूँछें
काले काजल सी चमके थी काली मूँछ
चेहरा मेरा रौबदार था घनी मूँछों के संग
फौजदार सी बहुत रौबदार थी मेरी मूँछ
मूँछों को देखकर दंग हर कोई रह जाता
चढती जवानी की शुरुआत थी मेरी मूँछ
मूँछ तान कर चलता था मैं तो सरेआम
आन- बान और मान-शान थी मेरी मूँछ
कलम कटाई मूँछों से था चेहरा रंगीला
कालू नाई से बनवाई थी मेरी सुंदर मूँछ
बहुत सुंदर लड़की आई मेरे जीवन में
गर्लफ्रैंड वो बनी,रखी शर्त कटाओ मूँछ
अनख गई पल में सारी कटाई सुंदर मूँछ
सुंदरी की सुंदरता भेंट चढ़ी थी सुंदर मूँछ
बड़े शोक से पाली थी मैंने अपनी मूँछ
गर्लफ्रैंड भेंट चढ़ी मेरी प्यारी न्यारी मूँछ
-सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
9896872258