Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 May 2022 · 1 min read

गर्म साँसें,जल रहा मन / (गर्मी का नवगीत)

गर्म साँसें,
जल रहा मन ।
चढ़ रहा
पारा,उपरितन ।

नाक ढकते,
कान ढकते,
नख बराबर
बंद हैं, पर,
दग्ध-वायु
जोर देकर
खोल देती
देह के दर ।

चिपचिपाता
स्वेद से तन ।
गर्म साँसें,
जल रहा मन ।

आँख भारी,
होंठ सूखे,
तमतमाते
गाल मेरे ।
कंठ रीता,
प्रहर बीता,
कसमसाते
बाल मेरे ।

धूप चढ़ती
घन-घनाघन ।
गर्म साँसें,
जल रहा मन ।

घर तपा
आँगन तपा है,
ताल तपता
कूप तपता ।
पंछियों के
पर तपे हैं
प्रकृति का
रूप तपता ।

गर्म राका,
तप्त उडगन ।
गर्म साँसें,
जल रहा मन ।

चढ़ रहा
पारा,उपरितन ।
गर्म साँसें,
जल रहा मन ।

000
—- ईश्वर दयाल गोस्वामी

Language: Hindi
Tag: गीत
8 Likes · 10 Comments · 620 Views

You may also like these posts

एक वो भी दौर था ,
एक वो भी दौर था ,
Manisha Wandhare
आज़ कल के बनावटी रिश्तों को आज़ाद रहने दो
आज़ कल के बनावटी रिश्तों को आज़ाद रहने दो
Sonam Puneet Dubey
बेशक मित्र अनेक
बेशक मित्र अनेक
RAMESH SHARMA
कान्हा भक्ति गीत
कान्हा भक्ति गीत
Kanchan Khanna
वक़्ते-रुखसत बसएक ही मुझको,
वक़्ते-रुखसत बसएक ही मुझको,
Dr fauzia Naseem shad
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
धर्मदण्ड
धर्मदण्ड
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
तेरा जो दिल करे वैसा बनाना
तेरा जो दिल करे वैसा बनाना
Meenakshi Masoom
“मेरी किताब “पुष्प -सार” और मेरी दो बातें”
“मेरी किताब “पुष्प -सार” और मेरी दो बातें”
DrLakshman Jha Parimal
#वचनों की कलियाँ खिली नहीं
#वचनों की कलियाँ खिली नहीं
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
जवानी के दिन
जवानी के दिन
Sandeep Pande
- धोखेबाजी का है जमाना -
- धोखेबाजी का है जमाना -
bharat gehlot
करुण शहर है मेरा
करुण शहर है मेरा
श्रीहर्ष आचार्य
नारी
नारी
Mandar Gangal
ओशो रजनीश ~ रविकेश झा
ओशो रजनीश ~ रविकेश झा
Ravikesh Jha
"चैन से इस दौर में बस वो जिए।
*प्रणय*
उम्र भर का सफ़र ज़रूर तय करुंगा,
उम्र भर का सफ़र ज़रूर तय करुंगा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पाठ कविता रुबाई kaweeshwar
पाठ कविता रुबाई kaweeshwar
jayanth kaweeshwar
क्षतिपूर्ति
क्षतिपूर्ति
Shweta Soni
मेरे अपने
मेरे अपने
Rambali Mishra
"एक उम्र के बाद"
Dr. Kishan tandon kranti
हर आदमी का आचार - व्यवहार,
हर आदमी का आचार - व्यवहार,
Ajit Kumar "Karn"
आस्था में शक्ति
आस्था में शक्ति
Sudhir srivastava
गजब के रिश्ते हैं
गजब के रिश्ते हैं
Nitu Sah
प्रतिशोध
प्रतिशोध
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
एक दिन सब ही खाते थे आम आदमी।
एक दिन सब ही खाते थे आम आदमी।
सत्य कुमार प्रेमी
हम कहाँ जा रहे हैं...
हम कहाँ जा रहे हैं...
Radhakishan R. Mundhra
** अरमान से पहले **
** अरमान से पहले **
surenderpal vaidya
बचपन
बचपन
Vivek saswat Shukla
माँ को अर्पित कुछ दोहे. . . .
माँ को अर्पित कुछ दोहे. . . .
sushil sarna
Loading...