गर्मी
ये गर्मी भी क्या सितम ढा रही है
सिर से पांव तक पसीने बहा रही है
मन भर गया है नहाते नहाते
फिर से ठंड के सपने दिखा रही है
संजय कुमार✍️✍️
ये गर्मी भी क्या सितम ढा रही है
सिर से पांव तक पसीने बहा रही है
मन भर गया है नहाते नहाते
फिर से ठंड के सपने दिखा रही है
संजय कुमार✍️✍️