गर्मी
7/04/24 की खड़ी दोपहर के बीच में घर से बाहर निकला और तो देखा तेज धुप के साथ साथ गर्म हवाएं चल रही थी कुत्ता प्यास के मारे इधर से उधर भटक रहे थे एक गाय दो बछड़े भी प्यास के नाम से तड़प रही थी पेड़ में बैठे कौवा भी प्यास के मारे काव काव की आवाज कर रही थी न जाने चूहा भी कितने दिन से प्यासा था जो अपने बिल से बार-बार बाहर निकाल कर देख रहा था की कही बारिश हो जाए और मैं अपनी प्यास बुझा लूं यह सब देखकर मुझे एहसास हुआ कि हमें हमारे जरूरत के हिसाब से ठंडा पानी खीरा, केकड़ी, कलिन्दर जूस कोल्डड्रिंक जैसे सामान आसानी से मिल जाते हैं पर उसका क्या जो सिर्फ पानी के लिए ही तरस रहे हैं पानी की सही कीमत इंसान को नहीं इंसान को छोड़कर बाकी जीव जंतु को अच्छे से पता है फिर क्या कुछ पल मोबाइल न चलाकर श्रमदान किया और समय का सही इस्तेमाल करके एक छोटे से गड्ढा का निर्माण किया ताकि जानवर को आसानी से पानी मिल सके आज जब जीव जंतु और जानवर को पानी पीते हुए देखता हूं तो मन खुशी से नाच उठता है मेरी छोटी सी प्रयास…
जल जीवन की ज्योति है टीका
जल के बिना जीवन है फीका
जल बचाओ कल बचाओ l
लेख – रंजीत कुमार पात्रे ll