गर्मी
जीव सभी अपने घरों में दुबके,
सूनी पड़ी सभी गली व सड़के।
बाहर हो रही आग की बारिश,
सारे जीव पानी को है तरसे।।
सूखे पड़े है सब ताल तलैया,
पशु पक्षियों का हाल है बेहाल।
तरस रहे है वे सब पानी को,
कोई रख रहा न उनका ख्याल।।
सूख गए है सभी पेड़ और पौधे,
सूख गई है सारी हरी भरी घास।
सूख गए है सारे वन व उपवन,
मानव हों गया है बड़ा उदास।।
चारो तरफ चल रही गर्म हवाएं,
जिसको कहते है हम सब लू।
घर के बाहर कोई न निकले,
नही तो लग जायेगी तुम्हे लू।।
बार बार सभी ठंडा पानी मांगे,
किसी तरह इस गर्मी को काटे।
पर ये गर्मी अब बढ़ती जा रही,
सब को लगा रही मुंह पर चाटे।।
इस गर्मी को कोई करे इलाज,
ऐ सी कूलर भी फीके पड़ गए।
अब तो प्रभु है इसके डाक्टर,
जो कर सकते है इसका इलाज।।
झम झम जब बारिश बरसे,
तब होगा गर्मी का ईलाज।
इंद्रदेव से सब करे प्रार्थना।
वे कर सकते इसका ईलाज।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम