गर्मी
गर्मी जब भी आती है। मुझको बहुत सताती है। ऊपर सूरज तपता है। धरती सूखी जाती है।
पेड़ और पौधे शान्त खड़े हैं।
नहीं किसी से बात करें हैं ।
पशु पंछी भी हैं परेशान ।
गर्मी से हुआ इनका बुरा हाल। हे ईश्वर दो हम पे ध्यान । हम हैं बालक तेरे नादान ।
लेखक – रूबी शुक्ला