*गर्मी के मौसम में निकली, बैरी लगती धूप (गीत)*
गर्मी के मौसम में निकली, बैरी लगती धूप (गीत)
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गर्मी के मौसम में निकली, बैरी लगती धूप
1
धूप खिलखिलाती है तो, ज्यों अट्टहास करती है
सॉंसों में यह एक थकावट, आने से भरती है
प्यारा लगता सुबह-शाम का, बिना धूप का रूप
2
दोपहरी में आग बरसती, सबको धूप डराती
चाहे पहनो कितना सूती, लेकिन धूप हराती
सुबह टहलते हरी घास पर, लगते जैसे भूप
3
अच्छी लगती हरे-भरे, पेड़ों की ठंडी छाया
अच्छी लगती सुबह-सुबह, कौवे की कर्कश काया
अच्छी लगतीं झीलें-नदियॉं, अच्छे लगते कूप
गर्मी के मौसम में निकली, बैरी लगती धूप
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451