गर्मी के दोहे
सूरज दादा कर रहे,अपनी आंखें लाल
म ई की गर्मी से हुए,सकल जीव बेहाल
गर्मी रितु के बाद में, आएगी बरसात
मन यह ऐसा सोच कर, पुलकित करता गात
सूरज दादा कर रहे,अपनी आंखें लाल
म ई की गर्मी से हुए,सकल जीव बेहाल
गर्मी रितु के बाद में, आएगी बरसात
मन यह ऐसा सोच कर, पुलकित करता गात