गर्मी की छुट्टी
गर्मी की छुट्टियाँ को खुल के जीया करते थे
नंगे पाव दोपहर में घर से बाहर ही रहा करते थे
इंतज़ार रहता था कि कब नानी के घर जाएँगे
ठंडी क़ुल्फ़ी का पूरा लुफ्त उठायेंगे
स्कूल को तनिक याद भी ना करते थे
सारा होमवर्क छुट्टी के आख़िरी दिन किया करते थे
पूरी रात जागते और सुबह देर से उठा करते थे
जब भूख लगती थी तभी घर को याद करते थे
पहले तो पड़ोसी भी एक परिवार हुआ करते थे
उनके बच्चे भी अपने भाई बहन ही लगते थे
अब हम बड़े हुए तो कहाँ नानी के घर जाएँगे
अपने बच्चों को उनके नानी के घर घुमायेंगे