*”गर्मी का मौसम “*
“गर्मी का मौसम”
गर्मी का ये मौसम आया ,धरती अंबर तपती झुलस रही ये काया।
सुबह सबेरे दिन चढ़ जाता ,भोर भई सूरज ने फैलाई अपनी माया।
तपती धूप आग के गोले सूरज देव ने गर्मी में हम सबको झुलसाया।
सूनी सड़कें सूनी गलियां सूरज शिखर पर बढ़ता तापमान लाया।
प्यासा पँछी इधर उधर भटक रहा है कहीं न मिले पेड़ की ठंडी छाया।
गला सूखता झुलसता ये तन ,गर्मी का मौसम मोहे न भाया।
मन करता है आइसक्रीम खाएं, खट्टे मीठे फलों का शर्बत पीकर चैन आया।
तरुवर की छाया अमराई में भीषण गर्मी में मन ये घबराया।
तपतपाती धरा सूखता गला खाने को कुछ मन नही भाया।
प्यास बुझाता ठंडा मटके का पानी गले को तर कर जाये।
मौन हो गए वन तपती धरती सुखी बंजर जमीन कहाँ गए वो लोग ,
विलुप्त हो रही हरी भरी वादियां नजर न आये पेड़ हरे भरे…..?????????
शशिकला व्यास✍️