Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Apr 2019 · 1 min read

गर्मी और जल

1
लू
गर्मी
संकट
में इन्सान
सूखता जल
भटकते लोग
अब न चेते कब

2
लू
डरे
वो नहीं
कर्मठता
मेहनत से
कमाए दो रोटी
एसी कूलर छोड़े

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
242 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सबने हाथ भी छोड़ दिया
सबने हाथ भी छोड़ दिया
Shweta Soni
Being liked and loved is a privilege,
Being liked and loved is a privilege,
Chitra Bisht
मेरा  दायित्व  बड़ा  है।
मेरा दायित्व बड़ा है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
घर को छोड़कर जब परिंदे उड़ जाते हैं,
घर को छोड़कर जब परिंदे उड़ जाते हैं,
शेखर सिंह
संस्कार
संस्कार
Sanjay ' शून्य'
दोहे
दोहे
अशोक कुमार ढोरिया
गीत
गीत
जगदीश शर्मा सहज
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
3116.*पूर्णिका*
3116.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
..
..
*प्रणय*
अमीर
अमीर
Punam Pande
ख्वाहिशों की ज़िंदगी है।
ख्वाहिशों की ज़िंदगी है।
Taj Mohammad
बेमेल रिश्ता
बेमेल रिश्ता
Dr. Kishan tandon kranti
*लू के भभूत*
*लू के भभूत*
Santosh kumar Miri
सृजन तेरी कवितायें
सृजन तेरी कवितायें
Satish Srijan
एक शकुन
एक शकुन
Swami Ganganiya
जिंदगी में अपने मैं होकर चिंतामुक्त मौज करता हूं।
जिंदगी में अपने मैं होकर चिंतामुक्त मौज करता हूं।
Rj Anand Prajapati
*आई गंगा स्वर्ग से, चमत्कार का काम (कुंडलिया)*
*आई गंगा स्वर्ग से, चमत्कार का काम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
काश तु मेरे साथ खड़ा होता
काश तु मेरे साथ खड़ा होता
Gouri tiwari
* शक्ति स्वरूपा *
* शक्ति स्वरूपा *
surenderpal vaidya
नया साल
नया साल
Mahima shukla
संसार का स्वरूप
संसार का स्वरूप
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
नई नसल की फसल
नई नसल की फसल
विजय कुमार अग्रवाल
एक ही रब की इबादत करना
एक ही रब की इबादत करना
अरशद रसूल बदायूंनी
मुझे लगता था किसी रिश्ते को निभाने के लिए
मुझे लगता था किसी रिश्ते को निभाने के लिए
पूर्वार्थ
वाह भई वाह,,,
वाह भई वाह,,,
Lakhan Yadav
अन्याय करने से ज्यादा बुरा है अन्याय सहना
अन्याय करने से ज्यादा बुरा है अन्याय सहना
Sonam Puneet Dubey
संगत का प्रभाव
संगत का प्रभाव
manorath maharaj
*उधो मन न भये दस बीस*
*उधो मन न भये दस बीस*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
Loading...