गर्मी उमस की
गर्मी उमस की
ये गर्मी उमस की है गर्मी ना बस की।
जाती ना तन से खुजली अपरस की।
टप टप टप टप टप टप चलता पसीना।
कि घातक दुपहरी सा जलता महीना।
लुकछिप कर बिजली ये आती है जाती।
कि कूलर से कमरे की गरमी ना जाती।
कपड़े सब मैले हम धोए कहाँ पर।
रह रह कर बारिश आ जाती है छत पर।
गिली पड़ी है चादर जस की तस की।
ये गर्मी उमस की, है गर्मी ना बस की।
अजय अमिताभ सुमन