गर्भपात (विचार )
गर्भपात
गर्भ सृष्टि के संचालन की एक अभिन्न प्रक्रिया है। सृष्टि के समस्त जीवों में वपन का कार्य पुरुष के हिस्से किंतु गर्भ-धारण की महनीय जिम्मेवारी महिलाओं के हिस्से में है। स्पष्ट है कि महिलाएँ सृष्टि की संवाहिका होने के साथ-साथ सृजन के सामर्थ्य से सुसज्जित होती हैं।
फिर गर्भपात?
गर्भपात अर्थात गर्भ का गिर जाना अर्थात परिपक्वता से पूर्व गर्भ का समापन।लेकिन क्यों? मोटे तौर पर इसके दो कारण है – 1. चिकित्सकीय कारण
2. सामाजिक कारण
चिकित्सकीय कारण के अंतर्गत भी दो श्रेणी है – पहला- प्राकृतिक गर्भपात। इसमें गर्भ तो ठहरता है किंतु कुछ दिनों के बाद गर्भस्राव हो जाता है यानी स्वतः गिर जाता है। यह स्त्री की शारीरिक, मानसिक, मेडिकल स्थिति समेत कई कारणों से हो सकता है।
दूसरा – चिकित्सकीय गर्भपात। इसमें यदि जच्चा -बच्चा किसी के भी स्वास्थ्य पर कोई हानिप्रद असर डॉक्टर को दिखता है तो वह गर्भपात की सलाह देता /करा देता है।
लेकिन ज्यादातर जिस गर्भपात की चर्चा होती है, वह है सामाजिक कारणों से गर्भपात। इसके भी दो श्रेणी है -1. अनचाहा गर्भ
2. पुत्रवादी सोच।
अनचाहा गर्भ भी मूलतः दो प्रकार का होता है – 1.दंपत्ति बच्चे के लिए तैयार नहीं हैं।
2. वैवाहिक बंधन के इतर संबंध स्थापन से गर्भ। इसमें विवाहेतर संबंध और अविवाहित संबंध दोनों आ जाते हैं। हालाँकि समुचित गर्भ-निरोधक के प्रयोग से इस स्थिति से बचा जा सकता है।
अब बात आती है सबसे संवेदनशील घटक- पुत्रवादी सोच जिसके कारण कन्या भ्रूण-हत्या सबसे ज्यादा कराई जाती है। आँकड़े बताते हैं कि विभिन्न संवैधानिक दंडात्मक व्यवस्था होने के बाद भी कन्या भ्रूण-हत्याएँ नहीं रुक रही हैं। यही सबसे ज्यादा विचारणीय और चिंतनीय विषय है। इसके पीछे कई सामाजिक कारण है। उनमें से कुछ मुख्य कारण हैं – पुरुष प्रधान समाज की अवधारणा, दहेज प्रथा, व्यभिचार, रूढ़िवादी सोच, अशिक्षा आदि।
प्रश्न यह है कि क्या गर्भपात के लिए केवल पुरुष ही जिम्मेवार है? नहीं, मेरा मानना है कि पुरुष के साथ-साथ महिलाएँ भी इस कृत्य में बराबर की हिस्सेदार हैं। और सच पूछिए तो, मैं इसे स्त्री-पुरुष आधारित न करके केवल यही कहूँगा कि गर्भपात का मूल कारण है – “वैचारिक गर्भपात “। वैचारिक गर्भपात जिसके कारण व्यक्ति दूरदर्शिता भूलकर पाश्विक चिंतन करते हुए अहंवादी हो जाता है।
अतः यदि गर्भपात रोकना है तो सबसे पहले हमें वैचारिक गर्भपात रोकना होगा।
-©नवल किशोर सिंह
17.10.2022