गर्दिश का माहौल कहां किसी का किरदार बताता है.
गर्दिश का माहौल कहां किसी का किरदार बताता है.
हवाओं में आईना भी दीवार को हिलता दिखाता है
जिसे नहीं सुखा पाती कभी सूरज की तपिश …..
वह भी वे-मौसम की बारिशों में भीग जाता है…. |
वह पेड़ जिनको हम पतझड़ से लाए थे उठाकर
अभी खिल उठा है वह अब बहुत इतराता है……
जिसको उड़ने की बेखौफ तालीमें दी हमने……..
वह भी हमें अंगुली पकड़ कर चलना सिखाता है |
✍️कवि दीपक सरल