गर्दिशे दौरा को गुजर जाने दे
गुज़र तो जाने दे ज़रा इस गर्दिशे ए-दौरा को…….
फिर देखना हमारी वफाओ की
क़ीमत क्या होगी…
सुनो अभी तो खिज़ा
आलूद मौसम है
चलेगी जब बादे- सबा तो
बहारो की क़िस्मात
क्या होगी…
खुदा से मांग के देखो
ज़रा दिल से ।।।।।
अता करेगा जो कुछ वो
तो उसकी बरकत क्या होगी..
ज़माना लाख मुखालिफ हो
कुछ नहीं होता:
खुदा जब साथ हो तो
उसकी रहमत…क्याहोगी..
अभी तो हम भी ज़रा मसरूफ है
वो वक्त तो आने दो…
हमें नाकाम कहने
वाले देखेंगे…..
हमारी शोहरत क्या होगी
ज़रा सोचो ज़रा समझौ
ये दुनिया आनी जानी है
नहीं बाकी रहेगा कुछ
सभी कुछ तो फानी है
तो
फिर इस दुनिया से हम को
भला
रागबत क्या होगी….❤️
शबीनाज़