गर्ज मंद संतानें
आज की संतानों को मेरे मित्रों !
बड़ों से दुआएं लेने की गर्ज नहीं।
इसीलिए छूते उनके चरण भी नहीं।
रहते है फूले हुए अपने अभिमान मे ,
जैसे इनको बड़ों की जरूरत भी नहीं।
आज की संतानों को मेरे मित्रों !
बड़ों से दुआएं लेने की गर्ज नहीं।
इसीलिए छूते उनके चरण भी नहीं।
रहते है फूले हुए अपने अभिमान मे ,
जैसे इनको बड़ों की जरूरत भी नहीं।