गरीब के हालात
कोई नही जाना चाहता है,गरीब के करीब।
ये फितरत देखी इस जमाने की अज़ीब।।
कहते हैं नेता कोई न रहेगा देश में गरीब।
सच्चाई को बताओ जाकर इनके करीब।।
चिनते है ऊंचे ऊंचे भवन अनेकों गरीब
रह नही सकते इनमे कभी बेचारे गरीब।।
उगाता है सभी अन्न खेतों में यह गरीब।
दो टाईम की रोटी नही है उसके नसीब।।
सर्दी गर्मी में काम करता है एक गरीब।
तन ढकने को कपड़े नही उसके नसीब।।
खून भी बेचता है गरीबी के कारण गरीब।
बीमारी से मरता है अस्तपताल के करीब।।
रस्तोगी भी कैसे लिखे गरीब के हालात।
लिखते लिखते रो रहे उसके भी जज्बात।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम