गरीब की माया
गरीब होना कोई गुनाह नहीं है,
जब अकेले आए थे संसार में,
खाली हाथ लिए हुए दिखाए थे,
तो क्यों है अब यहांँ रोना-धोना,
गरीबी की आड़ में आंँसू बहाना ।…(१)
इच्छाओं को तुमने जो है पाला,
सपने सजाए भ्रम के संसार में ,
दुःख को बुलाया कुकर्मों की आड़ में,
मेहनत न अपनाया सत्कर्म न कर पाया,
ढ़ो रहा दुख को खोई गरीब की माया ।…(२)
बोझ तले दबकर जिंदगी है बिताना ,
लालच का साथ पकड़कर जो बनाया ,
बचा हुआ धन मादकता में है गावाँया ,
बनोगे गरीब दुर्दशा खुद है बनाया ,
रहोगे न खुश जब अच्छे विचार न पाया ।..(३)
गरीब की जिंदगी में कष्टों की है छाया ,
यह कहना गलत नहीं उसकी भी है काया ,
मेहनत से उसने आशियांँ है बनाया ,
खुश रहने को जिसने मुकद्दर है अपनाया ,
गरीब हो संसार में पर खुशी ही है वह माया ।…(४)
धन और दौलत से अमीर न बन पाया ,
दो रोटी की जुगत को समझ न पाया ,
पेट भरने को लेकर हाथ है फैलाया ,
जीवन में केवल खुश रहना ही है माया ,
खुश रह न सका जो वह गरीब है कहलाया ।…(५)
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✍?
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर ।