गरीब आदमी और आम
गरीब आदमी और आम ।
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गरीब आदमी खाना चाहता है आम
पर उसके लिए बहुत ज्यादा है दाम
कुछ राशन का समान भी ले जाना है
घर का चूल्हा-चौकी चलाना है
घर में तो वही एक कमाने वाला है
बाकी सब बैठकर खाने वाला है
उस पर तीज त्योहार, दवाई और
बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी है
काम नहीं मिलने पर लगता
गरीबी एक लाइलाज बीमारी है
आज उसने आम छूकर, दुकानदारों से
बार-बार पूछकर उठाकर रखा था
जबकि बचपन में ही माँ के हाथों से
अपने आँगन में आम चखा था
माता ने आँचल में भरकर आँधियों में
गिरे आम को लेकर आयी थी
सबने खाए थे, पके रसीले आम
माता ने भी खूब खायी थीं
आज अतीत की स्मृतियों से
गछपका आम को चख लिपा था
ठेला वाला आम को उसने
अब ठेला में पर ही रख दिया था ।
नेतलाल यादव
उत्क्रमित प्लस टू उच्च विद्यालय शहरपुरा जमुआ, गिरिडीह, झारखंड पिन कोड 815312