गरीबों की बेच बोटियां बोटियां
गरीबों की बेच बोटियां बोटियां
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कितनी सस्ती हो गई है गरीबी
संकट में भाग जाते हैं करीबी
भूख में अगर कोई दे निवाला
खींच फोटो निकालते दिवाला
लूटते लोगों की खूब वाहवाही
करके. ओपचारिक कार्यवाही
कई बार तो गिरता दिया खाना
जरुरी होता है फोटो खिंचवाना
लोगों को भी है जरूरी दिखाना
डीपी पे नया स्टेटस भी लगाना
पेट में लग रही होती बहुत भूख
मुस्कुराते हुए करवाते फोटोशूट
यही तो है अमीरों की शैतानियां
गरीबों की बनाते वो कहानियां
कितनी सस्ती हुई लोकप्रियता
मंहगी हो गई जीवन कसौटियां
खूब होती गरीबी की जगहंसाई
जरुरतमंदों संग फोटो खिंचवाई
सेकते कई राजनीतिक रोटियां
गरीबों की बेच बोटियाँ बोटियां
कमाते हैं जगत में खूब शौहरत
जरुरतमंदों को दे कर मोहलत
अमीरजादों मत करो जगहंसाई
गरीबों लिए भी दुनिया हैं बनाई
दान में भी कर जाते है घोटाला
हर जगह अमीरों का बोलबाला
दानवीरो की जग में कमी नहीं
निस्वार्थ जनसेवा में कमी नहीं
बड़ा अच्छा होता उनका रसूख
मिटाते है जररतमंदों की भूख
लोकप्रियता से होते हैं वो दूर
समाजसेवा जनसेवा से हैं चूर
दिल दरिया के होते हैं मालिक
असलियत से होते हैं वाकिफ
बेसहारों के बन जाते हैं सहारे
धन दौलत लुटा होते वारे न्यारे्
सुखविन्द्र बना रहे यह संतुलन
नहीं हो छिड़ जाएगा आंदोलन
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)