गरीबी…
अपने घर की ग़रीबी की भरपाई करता हूँ!
बस सुई से मैं ख़्वाबों की तुरपाई करता हूँ!
आज फ़िर सर्द रातें क्या बिगाड़ लेंगी मेरा!
मैं बांध के पत्थर पेट की गरमाई करता हूँ!
अन्दर से पूरा टूट कर बिखरा मैं कई बार!
माँग के जब पैसे बाप की दवाई करता हूँ!
छत भी नहीं हैं सर पर अब मेरे बच्चों के!
मैं उनके सर पे खुद की परछाई करता हूँ!
#LafzDilSe By Anoop S.