गरीबी एक महामारी
भूख भी एक महामारी ,
और गरीबी एक लाचारी
न ये देखे पैर के छाले ,
न बेबस कदमो की लाचारी l
कहने को ये नयी बीमारी ,
पर गरीबी घाव पुराना है ,
जब भी कोई आफत आयी ,
गरीब ही पहला निशाना है l
बीमारी तो बस कहने को है ,
गरीबी तो हर क्षण मारती है ,
भूख से बचने घर से दूर आते हैं ,
फिर कोई बीमारी इन्हे गरीब बता देती है l
नंगे पैरों ,और भूखे पेट,
गरीबी पूरा देश नपवा देती है ,
और थकना तो इनकी किस्मत में नहीं ,
क्युकि सुस्ताने पे ट्रैन टक्कर मार जाती है l
समाज और सरकार पे एक ,
काला धब्बा छोड़ जाती है,
जिसे धोने ये हर पाचवे साल आते हैं ,
गरीबी मिटाओ का नारा लगाते हैं l
फिर भी सत्तर साल से न गरीबी हटी ,
न ही गरीब को दो वक्त की रोटी मिली ,
बीमारी तो हवाई जहाज से आयी पर ,
अब झोपड़ी उसका हिसाब चुका रही है l
गरीब और भूख से तपड़ते उनके बच्चे ,
उसका हिसाब चूका रहे हैं ,
भ्रस्ट लोकतंत्र और राजनीतिक द्वन्द के बीच ,
रोते मजदूर उसका हिसाब चूका रहे हैं l
भविष्य को टटोलने का अगर साहस हो तो ,
गरीबों के बस्ती में मातम नजर आएगा ,
भूख से तड़पती बेबस जाने और घर के अंदर बंद ,
सम्पूर्ण भारत सिर्फ अफ़सोस जताते नजर आएगा ll