गरमी का वरदान है ,फल तरबूज महान (कुंडलिया)
गरमी का वरदान है ,फल तरबूज महान (कुंडलिया)
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गरमी का वरदान है ,फल तरबूज महान
निर्धन क्या धनवान क्या, हर घर इसकी शान
हर घर इसकी शान , पेट का भरता कोटा
गूदा है क्या वाह , देखिए छिलका मोटा
कहते रवि कविराय , कंठ में आए नरमी
खा ले जो तरबूज , भूल जाए सब गरमी
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999 761 5451