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4 Aug 2019 · 1 min read

गरज रहे है,बरस रहे है,सावन के ये बादल —आर के रस्तोगी

गरज रहे है,बरस रहे है, सावन के ये बादल |
बरस रहे है मेरे नैना,आये नहीं मेरे साजन ||

चारो तरफ छाया अँधेरा,दामिनी दमक रही है |
ये बैरन भी मुझको,इतना क्यों डरा रही है ?
किससे कहूँ,कैसे कहूँ,मन की ये अपनी बात |
संग सहेली चली गयी, उनका नहीं भी साथ ||
रो रो कर भीग गया मेरे मन का ये आँचल |
गरज रहे है,बरस रहे है,सावन के ये बादल ||

चारो तरफ हरियाली छाई,खुश नही मेरा मन |
रोम रोम तडफ रहा ,कुछ चाह रहा मेरा तन ||
किससे कहूँ,कैसे बुझे,ये तन की मेरी अगन |
बुझ जाती ये अगन,जो पास होते मेरे सजन ||
निकल कर कुछ कह रहा,ये नैनो का काजल |
गरज रहे है,बरस रहे है,सावन के ये बादल ||

आर के रस्तोगी
गुरुग्राम मो 9971006425

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