नशे में मुब्तिला है।
कौन किसको समझाए सब ही नशे में मुब्तिला है।
हर किसी ने किया गलत गुनाहों की ये इन्तिहा है।।
जान बूझ कर सब खुदा को करते रहे दर किनार।
अभी तो बस ज़ख्मों की मिलने की ये इब्तिदा है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
कौन किसको समझाए सब ही नशे में मुब्तिला है।
हर किसी ने किया गलत गुनाहों की ये इन्तिहा है।।
जान बूझ कर सब खुदा को करते रहे दर किनार।
अभी तो बस ज़ख्मों की मिलने की ये इब्तिदा है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️