गम तो बांटो जरा किसी के
नीर भरी हैं उसकी अँखियाँ
बीत रहीं हैं चुप-चुप रतियाँ
साजन गए विदेश न लौटे
कौन सुने अब मन की बतियाँ
सूनी सूनी अमराई है,
सखियों की राह तकें अमियाँ
भँवरों की मनुहार न मानें,
कितने नखरे करती कलियाँ
गम तो बाँटो जरा किसी के,
मिल जायेंगी ढेरों खुशियाँ