गम की रात
गलती का कारण है ये रात।
मन के दीप बुझाए ये रात।
राहत की सांस घटाएं ये रात।
सुकून के पल हटाएं ये रात।
लालच से ही आए होती रात।
दुःख दर्द से भर देती ये रात।
समाज की कलंक होती ये रात।
बुराइयों की पहचान है ये रात।
अंधेरों का प्रसार करती ये रात।
संबंधों को तोड़ देती ये रात।
छुवा छूत को हैं बढ़ाती ये रात।
रीतियों के टूटने से आती ये रात।
आत्मविश्वास गिरा देती ये रात।
मानवता को हैं मिटाती ये रात।
मुस्कान छीन जाती हैं ये रात।
हवा में जहर घोल देती ये रात।
घर का वारिस छीन जाती ये रात।
अनहोनी का आगाज़ है ये रात।
सबको रुलाती है ये रात।।