परदेशी
राही रे…
राही रे-राही रे-राही रे
कुछ तो निशानी
देता जा
कुछ तो निशानी
लेता जा
बहुत काम आएगी
रस्ते में
तू प्रेम कहानी
लेता जा
तू प्रेम कहानी
लेता जा
तू प्रेम कहानी
लेता जा
(१)
राही रे…
राही रे-राही रे-राही रे
तेरे लिए था
मेरा रूप
तेरे लिए ही
अदाएं मेरी
तेरे लिए था
मेरा श्रृंगार
तेरे लिए ही
वफाएं मेरी
तेरे बिना
किस काम की यह
अब मेरी जवानी
लेता जा
अब मेरी जवानी
लेता जा
अब मेरी जवानी
लेता जा
(२)
राही रे…
राही रे-राही रे-राही रे
ये मस्त बहारें
रहें न रहें
वे शोख सितारे
रहें न रहें
यहां जब तक तू
वापस आए
ये दिलकश नजारे
रहें न रहें
अपनी यादों के
गुलदस्ते में
एक शाम सुहानी
लेता जा
एक शाम सुहानी
लेता जा
एक शाम सुहानी
लेता जा
राही रे
राही रे-राही रे-राही रे…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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