Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Sep 2023 · 4 min read

गनर यज्ञ (हास्य-व्यंग्य)

गनर यज्ञ (हास्य-व्यंग)

गनर यज्ञ (हास्य-व्यंग)
बड़े-बड़े शहर के बड़े परिवारों को घर के लिए काम वाली बाई खोजना जितना दुष्कर कार्य है उतना ही कठिन कार्य है उसे लंबे समय तक रोकना, मजाल क्या है कि कभी उसकी पगार में देरी कर दें या किसी त्योहार पर बोनस न भी दें। आज-कल बाई पर निर्भरता इस कदर बढ़ चुकी है कि एक दिन न आये तो खाना-खाने के लिये भी घर से बाहर जाना पड़े। इसलिए उसकी प्रत्येक समस्या का ध्यान घर के सदस्यों की आवश्यक्ताओं से अधिक रखा जाता है। यह तो हुई स्त्री वर्ग की एक समस्या।
अब ऐसी ही एक समस्या इस समाज के पुरुष वर्ग की भी है। आज पैसा है, बंगला है, गाड़ियां हैं, बड़े अधिकारियों और नेताओं में उठा-बैठ है पर कहीं न कही शेडो/गनर न होने की टीस दिखाई देती है। टीस हो भी क्यों नही! कितनी महंगी गाड़ी हो या ऊंची-ऊंची पार्टियों में शिरकत हो बिना गनर के बात जमती नही, लोग उसे ही अधिक तबज्जो देते है जिसके साथ पुलिस विभाग से मिला गनर चल रहा हो। इसलिए गनर प्राप्त करने का एक चलन सा चल गया है। कुछ महत्वपूर्ण व्यक्तियों को उनके जीवन भय या प्रोटोकॉल के लिए आवश्यक सुरक्षा के रूप गनर/बल प्रदान किया जाता है परन्तु कुछ नामचीन व्यक्ति प्रतिष्ठा के लिए या अनैतिक कार्य के लिए भी गनर प्राप्त करना चाहते है चाहे इसके लिए साम, दाम, दंड, भेद जो भी मूल्य चुकाना पड़े। इसी महत्वकांक्षा के साथ शुरू होता है “गनर यज्ञ”।
सर्वप्रथम तो व्यक्ति जिन अधिकारियों से उठा-बैठ होती है उन्ही से गनर प्राप्त करने का अनुरोध करता है। किंतु जब बात बनती दिखाई नही देती और लगता है कि अमुक अधिकारी भी गनर देने की बजाय हमसे किनारा करने लगा है, तो अपने सम्बन्धी वरिष्ठ नेताओं से गनर के लिए अनुरोध किया जाता है। नेता जी लाल-पीली आँखे दिखाते हुए समझाते है कि तुम्हें गनर की क्या आवश्यकता है। (याची नेता जी को यह पता ही नही कि जिनसे अनुरोध कर रहे हैं उन्हें खुद भी गनर प्राप्त करने के लिए कितने जतन करने पड़े तब जाकर कहीं 25% धनराशि पर स्वीकृत हुआ है) फिर किसी पुराने नेता के सम्पर्क में आते हैं और सलाह मिलती है कि “गनर यज्ञ” समझते हो! ‘नही सर’ “कभी ‘शस्त्र यज्ञ’ किया है” ‘जी सर’ तो उसी ‘शस्त्र यज्ञ’ की तरह ही “गनर यज्ञ” होता है इसमें अंतर सिर्फ इतना कि उसमें सफलता मिलने तक आहुतियां दी जाती हैं और इसमें सफलता के बाद भी अनवरत आहुतियां चढ़ाते रहना पड़ता है। ‘मुझे स्वीकार है आदरणीय’ तो अब ऐसा करो कि स्वयं के ऊपर हमला करा लो गनर मिल जाएगा। वरिष्ठ नेता जी के सुझाव पर स्वयं पर हमला कराया और जीवन भय को देखते हुए गनर उपलब्ध कराने के लिए आवेदन कर दिया जाता है। किंतु थाने की रिपोर्ट ने जीवन भय की पुष्टि नही करता तो किसी तरह मिल-जुलकर थाने से रिपोर्ट अपने पक्ष में लगवा ली जाती है। लेकिन अभिसूचना इकाई इस जीवन भय की पुष्टि से संतुष्ट नही है इसलिए फाइल पर आपत्ति लगा दी। वस्तुतः रोज अभिसूचना दफ्तर के चक्कर लगा-लगाकर फाइल यहाँ से आगे तो बढ़वा ली गयी। परन्तु जनपदीय सुरक्षा समिति द्वारा 75% धनराशि पर ही गनर स्वीकृत किया गया।
अब बहुत ही जश्न का माहौल है घर में गनर का स्वागत बड़े ही उत्साह के साथ किया जाता है थकान तो बहुत हो रही है किंतु गनर के साथ चलने का कुछ रूतबा ही अलग है इसलिए अकारण ही एक-दो दोस्तों के यहाँ फोन मिला दिया “यार काफी समय हो गया मिलने का मन कर रहा है” स्वयं से मिलने का अनुरोध किया जा रहा इसलिए मित्र मना भी नही कर सके। तुरन्त गनर साहब को साथ लिया और मित्र के यहाँ पहुंचे परन्तु गनर साहब बाहर ही रुक गए इसलिए मित्र से बात करते समय बार-बार बाहर की ओर झांक रहे हैं मित्र की बातों पर ध्यान केंद्रित नही कर पा रहे है। सारी उत्सुकता रखी की रखी रह गयी! बाहर निकलकर कार में बैठते ही गनर साहब को समझाने लगे कि वैसे तुम खूब आराम से रहो परन्तु जब कहीं फ़ोटो खिंचाने का अवसर हो या पार्टी में हों, तो थोड़ा बगल में ही रहा करो। मौका भांपते ही गनर साहब ने भी हाथी पालने वाला प्रसंग सुना देते और जब कभी नेता जी को शान दिखाने का अवसर आता, तो गनर साहब खाना खाने या टॉयलेट जाने के बहाने साइड हो जाते हैं। आखिरकार नेता जी द्वारा गनर साहब की तबज्जो बड़ा दी जाती है।
देखते ही देखते एक वर्ष का समय गुजर जाता है। आये दिन जूते खरीदने वाले नेता जी लंबी अवधि के बाद जूतों की दुकान पर पहुँचे हैं और अपनी साख के हिसाब से रिबॉक कम्पनी के एक जोड़ी जूते पसंद कर लिए मौका देखकर एक जोड़ी जूते गनर साहब ने भी पसंद कर लिए हैं। चूंकि साख का विषय है इसलिए भुगतान तो नेताजी को ही करना था काउंटर पर भुगतान करते हुए नेताजी के आँसू निकल पड़े और गनर साहब को अपने जूतों की फटी हुई तली दिखाते हुए बोले “मैं इस “गनर यज्ञ” की आहुति चढ़ाते-चढ़ाते इस हाल तक पहुंच चुका हूँ कि बच्चों की किताबें, पत्नी की कपड़े और घर की अन्य मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा नही कर पा रहा हूँ अब और नही सह सकता! और पुनः ऐसे महत्वाकांक्षी नेता जी स्वयं के जीवन को निर्भय दर्शाते हुए शासन से गनर हटाने सम्बन्धी अनुरोध पत्र लिख देते है।
-©दुष्यन्त ‘बाबा’
पुलिस लाईन, मुरादाबाद।
चित्र गूगल से साभार🙏

1 Like · 2 Comments · 320 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
याद रखना कोई ज़रूरी नहीं ,
याद रखना कोई ज़रूरी नहीं ,
Dr fauzia Naseem shad
दगा बाज़ आसूं
दगा बाज़ आसूं
Surya Barman
कैसे कह दूँ ?
कैसे कह दूँ ?
Buddha Prakash
कभी किसी की सादगी का
कभी किसी की सादगी का
Ranjeet kumar patre
रावण दहन हुआ पर बहराइच में रावण पुनः दिखा।
रावण दहन हुआ पर बहराइच में रावण पुनः दिखा।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
##सभी पुरुष मित्रों को समर्पित ##
##सभी पुरुष मित्रों को समर्पित ##
पूर्वार्थ
हम मोहब्बत में सिफारिश हर बार नहीं करते,
हम मोहब्बत में सिफारिश हर बार नहीं करते,
Phool gufran
दूर अब न रहो पास आया करो,
दूर अब न रहो पास आया करो,
Vindhya Prakash Mishra
दाल गली खिचड़ी पकी,देख समय का  खेल।
दाल गली खिचड़ी पकी,देख समय का खेल।
Manoj Mahato
*अहम ब्रह्मास्मि*
*अहम ब्रह्मास्मि*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
https://j88tut.com
https://j88tut.com
j88tut
बर्दास्त की आख़िर हद तक देखा मैंने,
बर्दास्त की आख़िर हद तक देखा मैंने,
ओसमणी साहू 'ओश'
घनाक्षरी छंदों के नाम , विधान ,सउदाहरण
घनाक्षरी छंदों के नाम , विधान ,सउदाहरण
Subhash Singhai
सुंदर लाल इंटर कॉलेज में प्रथम काव्य गोष्ठी - कार्यशाला*
सुंदर लाल इंटर कॉलेज में प्रथम काव्य गोष्ठी - कार्यशाला*
Ravi Prakash
हमने ख्वाबों
हमने ख्वाबों
हिमांशु Kulshrestha
ग़ज़ल _ तुम नींद में खोये हो ।
ग़ज़ल _ तुम नींद में खोये हो ।
Neelofar Khan
द़ुआ कर
द़ुआ कर
Atul "Krishn"
आपकी मुस्कुराहट बताती है फितरत आपकी।
आपकी मुस्कुराहट बताती है फितरत आपकी।
Rj Anand Prajapati
जिंदगी सभी के लिए एक खुली रंगीन किताब है
जिंदगी सभी के लिए एक खुली रंगीन किताब है
Rituraj shivem verma
#आज_का_क़ता (मुक्तक)
#आज_का_क़ता (मुक्तक)
*प्रणय*
तस्वीर तुम्हारी देखी तो
तस्वीर तुम्हारी देखी तो
VINOD CHAUHAN
हम बिहारी है।
हम बिहारी है।
Dhananjay Kumar
उमंग
उमंग
Akash Yadav
5 दोहे- वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई पर केंद्रित
5 दोहे- वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई पर केंद्रित
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
लोगों के रिश्मतों में अक्सर
लोगों के रिश्मतों में अक्सर "मतलब" का वजन बहुत ज्यादा होता
Jogendar singh
मेला दिलों ❤️ का
मेला दिलों ❤️ का
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
National YOUTH Day
National YOUTH Day
Tushar Jagawat
2992.*पूर्णिका*
2992.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
" वफ़ा की उम्मीद "
Dr. Kishan tandon kranti
मुॅंह अपना इतना खोलिये
मुॅंह अपना इतना खोलिये
Paras Nath Jha
Loading...