गधों की हड़ताल
1 दिन गधों ने सोचा कि की आज विज्ञान का युग चल रहा है। पर हम आज भी बुझा धोने का कार्य कर रहे हैं। हमें भी बोझा ढोने से छुटकारा मिल जाए। तो बहुत ही अच्छा होगा हम लोग भी कुछ राहत की सांस ले सकते हैं। हमें कुछ और उपाय सोचना होगा। गधे मिलकर कुछ समय के लिए हड़ताल पर चले जाते हैं। तब जनता में कुछ जागरूकता आएगी। कि हमारा उपयोग कोई और कार्य के लिए किया जाए। हम भी जीव हैं हमें भी और जीवो की तरह सुविधाएं मिलना चाहिए। यह जनतंत्र है हम स्वतंत्र जीने का अधिकार चाहते हैं। हमारी मांगों को पूरा करो। तब ही हमारी हड़ताल खत्म होगी। उनका यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। उनकी मांगे थे। हमारा भी नामकरण होना चाहिए कुत्ता बिल्लियों और जानवरों का नाम रखते हैं उसी तरह हमारा भी नाम रखा जाए। लेकिन हमारा नाम आज भी गधा ही गधा रहता है। हमारा यह अधिकार हमें मिलना चाहिए तभी हमारी हड़ताल खत्म होगी।