गद्दार सबसे बड़े दुश्मन
विभीषण और जयचंद ,
अभी तक मरे नहीं ।
घर हो या देश सबमें मिलेंगे ,
कही बाहर नहीं ।
कोई मनुष्य या देश कभी नहीं हारता,
हारता अपनों से है गैरों से नहीं ।
वरना आपकी कमजोरियां ,
आपके अपनों को मालूम है ,
गैरों को तो पता भी नहीं।
यही वोह अपने है जो गैरों से मिल जाते हैं,
आपके भरोसे का तोड़ते हैं गुमान यही ।
यही वोह हालात है बहुत संत्रास पूर्ण ,
मनुष्य टूट जाता है अंदर से कहीं ।
कैसे करे मुकाबला वोह दुश्मनों से,
दुश्मन के भेष में सबसे बड़े दुश्मन ,
गद्दार है आपके सामने है आपके अपने नहीं।
सदियों से देश लड़ता आ रहा है दो तरफा लड़ाईयां,
एक पड़ोसी देश दूसरे उसके अपने सत्ता धारी ,
और आज की नई पीढ़ी ,
जिनको देश से प्यार ही नहीं।
इंसान के भी दो दुश्मन है ,
एक घर के बहार,और एक घर में ,
अपनों के भेष में खूंखार ,कपटी दुश्मन यहां ।
अब बताओ ! कैसे बचोगे?
जब घर में ही हो छुपे हुए ,
विभीषण और जयचंद यहीं ।
दुश्मन के लिए कहीं बाहर जाने की ,
जरूरत नहीं ।