गद्दार का नहीं
गद्दार का नहीं
÷×÷×÷×÷×÷
मान मिले सबको
अपमान न किसी का,
हिंदुस्तान सिर्फ़ उनका
गद्दार जो नहीं हैं।
ऊपर से चाहे जितना
कुछ देशभक्त हों,
उनके दिलों में देश का
कुछ भी सम्मान नहीं है।
गिरगिट सा रंग बदलने में
हर वक्त जो हैं माहिर,
हिंदुस्तान ऐसे कुत्तों के
बाप का भी नहीं है।
खाते हैं रहते हैं यहाँ पर
दुश्मन सा जो काम करें,
हिंदुस्तान उनके पुरखों के
बाप का कभी नहीं है।
होश में आ जाओ अब
गंदी नाली के गंदे कीड़ों,
सहने को तेरे पाप अब
मां भारती तैयार नहीं है।
✈सुधीर श्रीवास्तव