गद्दारों को फाँसी दो
आतंक का जलवा देख रहा है जग कश्मीर की घाटी में
न जाने बो रहा कौन बारूद मुल्क की माटी में
वीर शहीदों ने जाँ अपनी जिस माटी में गँवाई है
गद्दारी की फसल उसी में फिर कैसे लहराई है
आतंकी के समर्थन में जो लोग सड़क पर आए हैं
मुझे नहीं लगता वो केवल एक बाप के जाए हैं
गूँज रही फरियाद यही निर्दोषों की चीत्कारों में
पाकिस्तान भेज दो इनको माँग उठी है नारों में
भारत माँ की शान में कोरी आन-बान लिखने वालों
सुन लो पुकार जनमानस की ऐ संविधान लिखने वालों
अपनी आँखें खोल जरा सच्चाई का रसपान करो
गद्दार पनपने न पाएँ अब ऐसा कोई विधान करो
धारा विशेष अब खत्म करो कश्मीर चढ़ाई करने दो
मत रोको अब आर-पार की हमें लड़ाई करने दो
आतंकवाद के मंत्र नये न तुमको गढ़ने देंगे
सरहद के आगे न किसी दुश्मन को अब बढ़ने देंगे
भारत माँ के लिए हृदय में प्यार माँगने आया हूँ
ऐ संविधान तुझसे मैं ये अधिकार माँगने आया हूँ
देशद्रोही न बख्शा जाए देश को वो कानून मिले
गयी भाड़ में मानवता अब खून का बदला खून मिले
‘संजय’ मुल्क के दुश्मन को न काबा दो न काशी दो
माँग रही है देश की जनता गद्दारों को फाँसी दो