गद्दारी हेतु मात्र मृत्यु दण्ड
द्रोही तो द्रोही होते है ,
चाहे देश के हो या किसी धर्म के ,
जो अपनों के खिलाफ जाकर,
किसी दुश्मन से जा मिलते हैं।
द्रोहियों का इतिहास पुराना है ,
मगर अब भी उनका जमाना है ।
यह न होते तो क्या मजाल थी ,
कोई फूट डालकर शासन करता ।
मुसलमान हो या अंग्रेज चाहे जो हो ,
इन्हीं देश द्रोहियों की सहायता पाई।
हम तो अपनों से ही मात खा गए ,
हाय! कैसी तकदीर हमने पाई।
और अब भी इन्ही देश द्रोहियों ,समाज ,
और धर्म द्रोहियों की वजह से यह स्थिति आई।
खटमल की तरह चिपके हुए हैं जो ,
ऐसी बेशर्म , कृतघ्न,बईमान कौम,ने ,
देश ,और समाज की जड़ें हिलाई ।
इनके लिए अब सरकार और न्यायलय को ,
एक कड़ा कदम उठाना होगा ।
जो भी करे निज देश और समाज से गद्दारी ,
उसे फांसी के तख्ते पर चढ़ाना होगा ।