गत वर्ष से नववर्ष तक
सालों का सिलसिला चला
उठकर यादों का काफिला चला
चूपचाप सूरज ढला
गुमशुम शाम हुई
सर्द रात सोई
सपनों का बादल पिघला
तुम बदले,हम बदले
हवा,धूप,माटी,नीर
सबमें नयापन है
इस कदर ये साल बदला
स्वरचित।।
सालों का सिलसिला चला
उठकर यादों का काफिला चला
चूपचाप सूरज ढला
गुमशुम शाम हुई
सर्द रात सोई
सपनों का बादल पिघला
तुम बदले,हम बदले
हवा,धूप,माटी,नीर
सबमें नयापन है
इस कदर ये साल बदला
स्वरचित।।