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10 Jan 2019 · 1 min read

” गति ना जाये टारी ” !!

गीत

कुहासा पड़ गया भारी !!

झुलसी है हरीतिका भी ,
पड़ी जो ओस की बूंदें !
परेशानी किसानों की ,
उड़ी जो आज हैं नीदें !
बिखरते से लगे सपने ,
विपद से फिर हुई यारी !!

धवल सी बिछ गई चादर ,
हुए दिन रात हैं ठंडे !
सिहरती लग रही नदियाँ ,
फहरे शीत के झंडे !
पहाड़ों पर बढ़ी ठिठुरन ,
जमी हैं झील अब सारी !!

धुँआ सा हो गया मौसम ,
नज़र घटती लगे है !
लगे गुमसुम हुआ सूरज ,
धूप पल पल ठगे है !
नज़ारे हैं कहीं सजते ,
कहाँ टूटे खुमारी !!

सजे हैं गीत अधरों पर ,
मिलन की है लगन सी !
अटारी पर चढ़ी आशा ,
खुशी की है छुअन भी !
उड़ी है नींद रातों की ,
गति ना जाये टारी !!

बृज व्यास

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 217 Views
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